मन में विचार, चेहरे पे मुस्कान
खुला दिल, खुला आसमान
हर लम्हा आपका, खुशी सें है
दिनेश सर की तो, बात ही कुछ और है ।
वो बात कुछ और थी, ये बात कुछ और है
वो जमाना कुछ और था, ये जमाना कुछ और है
दिनेश सर की तो, बात ही कुछ और है ।
अपनों के साथ, दुसरों का भी हाल पूछते है
जिनसे पहचान नहीं, उन्हें भी सवालात पूछते है
बात बनें ना बनें, मुलाकात जरूर करते है
दिनेश सर की तो, बात ही कुछ और है ।
सोच में रहते है वो सदा, सवाल के जवाब पर
मुख पढ लेते है कभी-कभी, सोचने के आधार पर
हम चाहतें है वो जवाब लेकिन जवाब मिलता कुछ और है
दिनेश सर की तो, बात ही कुछ और है ।
60 साल के हो गये, लेकिन सोलह जैसे रहते है
मिल-जुलकर रहना, यही उनकी आदत है
इसलिये तो शायद उनका, इतना बडा परिवार है
दिनेश सर की तो, बात ही कुछ और है .. ।।