Friday, November 26, 2010

एक लम्हा २६/११

एक रोज मै भी, उसे प्यार करता था

दिन रात उसकी, यादोंमे खोया रहता था।



हर शाम उसका, इंतजार मै करता था

उसकी एक हँसी के लिए, हर पल तरसता था।



उसके साथ रहने से, सारे जहाँ को भूल जाता था

उसके न होने से, खोया खोया सा रहता था।



उसके लिए मै, पूरी दुनिया से लड़ सकता था

इतना दिलों जान से मै, उसे प्यार करता था।


एक लम्हा जिंदगी का, मुझे छुकर निकल गया

आतंकियोंके एक धमाके से, मेरा सबकुछ दफन हो गया।

No comments: