Thursday, July 3, 2014

एक बूँद


एक बूँद शराब की ऐसा मजा चखाती है
बसा-बसाया घर-संसार सब उजाड़ देती हैं

शुरुआत एक ही बूँद से होती है, अंजाम बोतलों तक पहुंचता हैं
और हर पल की खुशी का अंजाम गमों में बदल जाता हैं

नशे में वो इतना डूब जाता है कि शराब के लिए घर ही बेच देता है
बसा-बसाया घर उजड़ जाता है फिर भी वो शराब नहीं छोड़ता है

वक्त


वक्त ठहरता नहीं, बदलता हैं
एक चायवाले का सपना पूरा हो जाता है.

वक्त को वक्त नहीं हैं
वक्त क्या है देखने के लिए.

हमें जानना हैं, वक्त क्या हैं
खुदकों बदलने के लिए

वक्त वक्त की बात हैं
संभल जाना है, खुदको संवारना है.

वक्त आपके लिए नहीं बदलेगा
आपको वक्त के साथ बदलना हैं.