Thursday, March 16, 2017

गीत

गीत

दूवाँओं से कह दो,
थोड़ी दुवाभी हमें दे दो ॥

दो पल के लिए, थोड़ी खुशी दे दो ॥

इस ज़िंदगानी के लिए, थोड़ी बंदगी दे दो ॥

इन्सानियत के लिए, थोड़ी मगरूरी दे दो ॥

ऐसा न था मैं

ऐसा न था मैं

ऐसा न था मैं, अलग, अकेला रहनेवाला ।। धृ ।।

खुली आंखों से अन्याय देख,चुपकर सहनेवाला ।। 1 ।।

सरेआम गुंडा-गर्दी देख, नजरें झुकानेवाला ।। 2 ।।

लाखों, करोड़ों की भीड़ में, खुदको छुपानेवाला ।। 3 ।।

आपत्तिजनक समय पर, संकट से भागनेवाला ।। 4 ।।

बेदर्दी आवाजें सुनकर, अनसुना करनेवाला ।। 5 ।।

इस दुनिया में शर्मिंदगीसे, झुककर जीनेवाला ।। 6 ॥

ऐसा न था मैं, अलग, अकेला रहनेवाला....

मैं इंसान हूँ

मैं इंसान हूँ

मैं इंसान हूँ
जीता जागता श्मशान हूँ ॥धृ॥

आंखे बंद करके मैं चलता हूँ
किसिकी आवाज मैं न सुनता हूँ ॥1॥

बेबसी, लाचारी मेरी कमजोरी है
सच्चाई से मुँह फेर लेता हूँ ॥2॥

जैसे जिंदगी भीख में मिली है
दुनिया से मैं कहता हूँ ॥3॥

हैवानों मे रहनेवाला
मैं भी एक जानवर हूँ ॥4॥