Monday, July 11, 2011

वो दिन

२६ जुलाई का दिन सबको रहेगा याद ,
एक नही दो नही सौ साल बाद।
बारिश की वजह से सब थे परेशान,
अपने ही लोगों से बन गए थे अनजान।
किसी को किसी की ख़बर नही मिलती थी,
टेलीफोन तथा मोबाइल की लाईने नही चलती थी।
हर तरफ़ से मुम्बई पानी मे डूब गयी,
एक पल ऐसा लगा जैसे धड़कन रुक गयी।
कितने लोग लापता हो गए कितने हो गए घायल,
जिनके घर उजड़ गए वे तो हो गए पागल।
ऐसे मे इंसानियत ने हाथ बढाया,
जाती -धर्म तोड़कर मौत से छुड़ाया।
सलाम करते है उनको, जिन्होंने जाँबाजी दिखाई,
सर पे मौत का कफन लेके दूसरों की जान बचाई।
यही प्रार्थना ईश्वर से सबको रखना आबाद,
२६ जुलाई का दिन सबको रहेगा याद।
ईश्वर करे ऐसा दिन कभी ना आए,
दुखों के ऐसे बाढ़ किसी को ना दिखाए।

- सुनील जगदाले

1 comment:

Khushal said...

Your poems are not upto the mark,

read first, feel first & then publish on the blog.

I feel that you try to join the words carry out the theme of the poem. I think you first feel for the theme then let words flow for the same,

anyway, blog is for all faltu poet who can not go on publishing their poems,.

since you can be good poet try to enhace your standard,

Hope you dont mind my comments