Monday, September 29, 2008

मेरा वो

बहूत किया इंतजार, अब आई है बहार ।

जिसके लिए थी बेकरार, खुशियाँ लाया वो बेशुमार ।

उसके आने की रोनक, सारे जहाँ से दिख रही थी ।

उसे क्या मालुम, मै कितनी खुश हो रही थी ।

उसने आते हीं, थामा मेरा हाथ ।

जैसे बोल रहा था, है जनम-जनम का साथ ।

हर पल हर घड़ी, मै उसे चाहती हूँ ।

जहाँ जाऊँ वहां, उसके साथ रहती हूँ ।

एक दिन मुझे, अजबसा सपना आया ।

सपने में उसने, मेरा साथ छोड़ दिया ।

जिंदगी में आके मेरे, उसने मुझे छेड़ा था ।

मेरे दिल का चहेता, मेरा चाइना मोबाईल मेरे पासही पड़ा था ।



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